एक ख्वाब,
छोटासा,
अधूरा-सा,
टूटा-फूटा,
दिल के एक कोने में छिपकर बैठा हुआ.
आंसुओं की चादर से ढका हुआ,
उम्मीद का दामन थामे रातों को तारे गिनता हुआ ...
आज भी है,
पलकों पे सजा हुआ,
तारे के टूटने का इन्तेज़ार करता हुआ...